रिश्तों की कीमत

जिसे चाहने की खातिर था खुद को भुलाया वही आज रोता मेरे पास आया,
कहा मुझसे सुनलो मेरी बात एक तुम, नहीं तुमने अच्छे से रिश्ता निभाया,
जरा शिख लो क्या है रिश्तों की कीमत, नजाने किसकी खातिर तुमने रिश्तों को भुलाया,
जरा जाके पूछो की क्या है कीमत तुम्हारी, क्यों गैरों की खातिर है खुद को लुटाया.
कहा जब तुम्ही हो मेरे दिल की मलिका, लगी मुस्कुराने और कहा उसने मुझसे, ...................

न आना मेरे संघ कभी जिंदगी में, न मुझको कभी हाले दिल तुम सुनना
की मैंने कहा आज तुमको दीवाना, नहीं दूसरों से ये बातें बताना
अगर ज़िन्दगी में पड़ेगी जरूरत, बुलालेंगे तुमको तुम कभी न बुलाना
तम्हे भूलना कोई मुस्किल नहीं है, मगर मुझे तुम कभी न भुलाना
अगर आये आंसू मेरी याद में तो, मुझे याद करके सदा मुस्कुराना|
जरा मेरी सोचो मेरे दोस्त तुम भी, था जिसको पाना उसे है भुलाना|
वो भूलें मुझे चाहे कितनी दफा जिंदगी में, हमे ज़िन्दगी से उन्हें बस था पाना
अगर चाहते हैं भुला दें हम उनको, तो जरूरी कहाँ है उन्हें ये बताना
की उन्हें याद करना है जरूरत हमारी, जरूरी नहीं है उन्हें ये जताना |

Mahadev!!!